ये फोटो 10 साल पुरानी है, अपने होम स्टूडियो की जिसमे इतने सालो में कुछ खास रिकॉर्ड नहीं हो पाया लेकिन इसकी कहानी जरूर दिलचस्प है। आइए में आपसे कुछ बीते पल साझा करता हु।

आइडिया सेल्यूलर और रेडियो मिर्ची

ये उन दिनों की बात है जब मैं पहली बार Idea के  कॉर्पोरेट कॉल सेंटर में ट्रेनिंग के लिए गया और अंग्रेजी से डर होने के बावजूद भी होसला नही खोया। ज्यादातर साथी जो ट्रेनिंग ले रहे थे वो दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा राज्य से थे।

ट्रेनिंग के दिनों जब कॉर्पोरेट कस्टमर्स की समस्याओं का समाधान करने हॉट सीट पर बैठा तो एक अनोखी घटना घटी।

उस समय रेडियो मिर्ची के स्टेशन हेड ने अपनी कुछ फोन की समस्या के लिए कॉल किया और मेने उसका समाधान कर दिया, उसके बाद उन्होंने जो मुझे बोला उसे सुनकर मेरे जीवन के कुछ दिन स्वप्न में ही चलते रहे।

उन्होंने मुझे अपने स्टूडियो में आकर रेडियो जॉकी बनने के लिए कहा लेकिन कस्टमर केयर का नियम ये था कि में किसी से व्यक्तिगत संबंध नहीं रख सकता। अगले एक घंटे तक में किसी और कस्टमर से बात नहीं कर सका, बस ये सोचता रहा की इनको वापस कॉल करू की नही।

FM स्टूडियो उन दिनों चमकते क्षेत्रों में से एक था तो स्वाभाविक है की ऐसे मौके को कोन खोना चाहेगा फिर क्या था, स्टेशन हेड का नंबर याद कर लिया और एक डायरी में लिखकर अगले दस दिन तक रोज सोचता रहा की कॉल करू की नही पर समय की धारा ने उसे भुला दिया।

नोएडा फिल्म सिटी

आइडिया सेल्यूलर के बाद अगली छुट्टी में नोएडा फिल्म सिटी में जाने का मोका मिला। इस बार Zee News के ऑफिस में था लेकिन उनके रिकॉर्डिंग स्टूडियो में जाने का मोका नहीं मिला। उस दिन पूरी फिल्म सिटी में घूमकर ये लगा की शायद में भी कुछ कर सकता हु।

अंग्रेजी और फेल होने का डर

15 साल पहले इंटरनेट और YouTube की दुनिया इतने परवान पर नही थी और पूरे देश में नोएडा के फिल्म सिटी से ही ज्यादातर न्यूज का प्रसारण होता था, हालाकि अभी भी ज्यादातर बड़े चैनल वही है।

रेडियो मिर्ची में नहीं जाना और फ़िल्म सिटी को पूरा जानकर भी आगे नहीं बढ़ना फेल होने का ही डर था। ज्यादातर लोग फेल होने के डर से कई मौके खो देते है उनमें से एक में भी था।

कुछ करने का जुनून और परफेक्ट ही हो उसका संयम

रेडियो मिर्ची से ऑफर उस तरह से था जैसे की किसी शेर के मुंह में खून लगना। जब सभी ने मेंरा ध्यान मेरी आवाज की और आकर्षित किया तो आवाज की दुनिया मेरा पेशा नही नही होने के बावजूद भी साल में कुछ दिन इसका जुनून सवार हो ही जाता था।

पहली ऑडियो रिकॉर्डिंग

ये पहली आवाज कंप्यूटर पर हेडफोन से रिकॉर्ड करी थी और इसे अपने मित्रो को सुनाकर ही खुश हो जाता था। हालाकि एक प्रोफेशनल क्वालिटी के वॉइस ओवर आर्टिस्ट के पास और भी ज्यादा खुबिया होनी चाहिए वो बिलकुल नहीं थी। किसी मीटिंग में बिना एक्टिंग के उद्देश्य से रिकॉर्ड करी हुई बात फिर भी अच्छी हो सकती है लेकिन स्क्रिप्ट को एक्टिंग के साथ रिकॉर्ड करना एक अलग बात है।

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दूसरा यूट्यूब वीडियो

दूसरा ऑडियो रिकॉर्ड तो 2012 में रिकॉर्ड कर लिया था लेकिन 2017 में इसे यूट्यूब पर सिर्फ टेस्टिंग के लिए ही डाला की कैसी आवाज आती है।

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